भारतीय नौसेना की परमाणु शक्ति संपन्न पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत की ताकत

nuclear powered submarine INS Arihant SSBN

एसएसबीएन (SSBN) शिप सबमर्सिबल बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी क्या है और आज कहां खड़ा है।

अब बात शिप सबमर्सिबल बैलिस्टिक, न्यूक्लियर (SSBN) पनडुब्बी की, देश की पहली बैलिस्टिक missile से लैस nuclear पावर्ड पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने अपने डिटरेन्स ट्रायल को नवंबर 2018 में पूरा किया है और अब इसकी नई सीरीज की पनडुब्बी को बनाई जारही है जिसका जिसका वजन 13 हज़ार पांच सौ टन है और ये nuclear पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी जिसका नाम एस 5 (S5) होने वाला है।

ये अरिहंत क्लॉस एसएसबीएन पनडुब्बी से दुगने वजन की होने वाली है। इसमे बारह nuclear मिसाईल लगाई गई है। इसके रिएक्टर को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर द्वारा बनाया गया है। इसके हल को एंटी सोनार प्रॉपर्टी मैटेरियल से बनाया गया है । भारतीय nuclear पनडुब्बी प्रोग्राम को करीब 4 दशक हो चुके हैं और करीबन दो दशक हुए हैं जब इस पनडुब्बी ने अपनी शेप यानी आकार लेना शुरू कर दिया है। जिसे पहले एडवांस Technology Vessels के नाम से जाना जाता था।

बाद में इस पनडुब्बी Technology Demonstrator को आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) का नाम दिया गया और ये बड़े ही गर्व की बात है कि दो दशक की कड़ी मेहनत के बाद डीआरडीओ ने पनडुब्बी को समुद्री परीक्षण के लिये समुद्र में उतार दिया और ना सिर्फ ट्रायल के लिये उतारा अपितु इसे इंडियन नेवी में शामिल भी कर लिया गया।


और अब ये पनडुब्बी आउटर समुद्री एरिया में डिटरेन्स पेट्रोल भी कर रही है। इस कारण अब भारत उन 5 बड़े देशों के ग्रुप में आ गया है जिनके पास अपनी शिप सबमर्सिबल बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी है और जो स्थायी सुरक्षा परिषद के सदस्य भी है। अब भारत ऐसा छठा देश बन चुका है जिसके पास इस तरह की सबमरीन है और जो अपने दम पर इस पनडुब्बी को स्वदेशी तकनीक के जरिये बना भी सकता है। इस तरह की स्वदेशी technology से बने vessels के कारण दुनिया के अन्य देशों का भारत को देखने का नजरिया बदल जायेगा ना सिर्फ नजरिया अपितु इस technologycal स्टेटस के कारण अन्तरराष्ट्रीय राजनीति और इंडियन मैरीटाइम सिक्योरिटी गोल को भी बदल कर रख देगा।

ये तकनीक की एक बहुत बड़ी उपल्बधी है। हमारे लिए और एैसी 5 और पनडुब्बी की जरूरत है। जो इसी तरह की क्षमता की हो क्योंकी अगर हमे स्ट्रेटेजिक डिटरेंस की क्षमता चाहिए तो हमे लगातार समुद्री एरिया में 5 से 6 न्यूक्लियर सबमरीन की फ्लीट रखनी ही होगी और ऐसी क्षमता रखने के कारण हम अपने समुद्री एरिया में लगातार डिटरेंस पेट्रोल रखने में सक्षम हों जाएंगे। जिससे सेकंड स्ट्राइक की कैपेबिलिटी रखने के कारण इंडियन नेवी का बाहुबल बहुत मजबूत हो जाएगा ये हमारे शत्रु राष्ट्र के सामने एक मजबूत स्थिति प्रदान करती है। कि अब हम भी एक क्रेडेबल डिटरेंस पावर है। जिससे हम अपने शत्रु राष्ट्र को एक मजबूत जवाब दे सकेगें। अब अगर हमें चीन के अंदर तक के टारगेट को खत्म करना है तो एैसे में एसएसबीएन और एसएसएन सबमरीन जैसे बड़े प्लेटफॉर्म की महत्ता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए अरिहंत क्लास सबमरीन में K4 missile लगी होती है। जिनकी रेंज 3 हज़ार से 3 हज़ार 500 किलोमीटर की होती है इस कारण अरिहंत चीन के काफी अंदर तक के टारगेट का खत्म कर सकती है।

अब अगर एस 5 एसएसएन (S5 SSN) सबमरीन की बात की जाय तो इसमे ज्यादा बड़ी और ज्यादा रेंज की मिसाइलें लगी होती हैं। जो लगभग चीन और पाकिस्तान के हर शहर तक अपनी पहुँच रखती है।

nuclear powered submarine INS Arihant SSBN

अब सवाल ये है कि इतनी लंबी दूरी की missile की जरूरत क्यो पड़ी ?

ऐसा इसलिए क्योंकी हम अपने ही क्षेत्र में जहाँ पर अपनी सबमरीन को डिप्लॉय और ऑपरेट कर रहे हैं। हम वहीं से चीन और पाकिस्तान के काफी अंदर तक के टारगेट को हिट कर सकेंगे। इसके लिए हमें चीन या पाकिस्तान के समुद्री सीमा के पास या उसके अंदर तक जाने की कोई जरूरत नही रह जायेगी।

अब हम आगे आने वाली न्यूक्लियर सबमरीन की फ्लीट की बात करें तो अरिहंत क्लास के बाद S5 उसके बाद S4 को भी बनाया जा रहा है। जो अरिहंत सबमरीन से बड़ी साइज़ की होंगी अब बात अरिहंत और S4 सबमरीन की तो अरिहंत क्लास एक technology डेमोंस्ट्रेटर सबमरीन है।

ये एक पूरी तरह से चालू सबमरीन नही है। अरिहंत क्लास सबमरीन एक यात्रा की तरह है। और इससे सीख कर आगे की S 5 और S 4 सबमरीन बनाई जाएगी जो पूरी तरह से चालू सबमरीन होंगी। अब अगर आप समुद्री एरिया में किसी खतरे के बावजूद मौजूद रहना बने रहना चाहते है तो आपको पहले से बेहतर और आधुनिक technology, पहले से बेहतर सेफ़्टी प्रोसीजर आपको चाहिए ही होगी, और ये technology ऐसी नहीं है कि आप इसे 5 साल 10 साल या अगले 50 साल में बना ले ये एक लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है। अब अगले 10 से 15 साल के आगे के समय को देखा जाये तो हमे S4 S4 स्टार और S5 सबमरीन को देखेंगे जो ना सिर्फ तकनीकी रूप से एडवांस होगी अपितु ये हमारे इंडस्ट्रियल पॉवर को भी दुनिया के सामने रखेगी।

इस तरह की न्यूक्लियर सबमरीन दुनिया का कोई भी देश आपको कभी नहीं देगा। इस तरह की न्यूक्लियर सबमरीन आपको अपने ही दम पर अपने अनुसंधान एवं विकास के जरिये ही मिल सकता है।

अब हम एसएसबीएन सबमरीन की तीन प्रमुख विशेषताओं की बात करें तो सबसे पहले ये स्टील्थ सबमरीन हो। जिससे इनकी जगह का पता ना चल सके, दूसरी ये की इनके पास बेहद लंबी दूरी की मिसाइलें हों जो स्टैंड ऑफ रेंज से अटैक कर सके, तीसरी ये की इनका कमांड और कम्युनिकेशन सिस्टम फुलप्रूफ होना चाहिये। क्योंकी एसएसबीएन सबमरीन का कैप्टन अकेले ही मिसाईल फायरिंग की अनुमति नही दे सकता है। अपितु उसे नेशनल न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी से भी अनुमति लेनी होगी। जिसके प्रधान प्रधानमंत्री जी होते हैं। इसके लिए बेहद जरूरी होता है कि आपका कम्युनिकेशन सिस्टम बेहद भरोसेमंद और सिक्योर सिस्टम होना चाहिए। इसके लिए एक पूरा इकोसिस्टम होना चाहिए जो इस कमांड और कम्युनिकेशन सिस्टम एक्टिव और ऑपरेशनल रख सके।

nuclear powered submarine INS Arihant SSBN

अभी कुछ समय पहले चीन ने JL-3 मिसाईल का परीक्षण किया इसे लेकर पूरी दुनिया मे एक होड़ मच गई और हर देश पहले से बड़ा और बेहतर प्लेटफॉर्म बनाने में जुट गया। अमेरिका कोलंबिया क्लास की सबमरीन, रूस बोराई एवं बोराई एम क्लास सबमरीन और चीन type 96 सबमरीन को डेवलप करने लग गए।
इसलिये न्यूक्लियर डोमेन को ले कर इंडो-पैसिफ़िक रीजन में एक मुकाबला होने लग गया।

किसी भी देश की आजादी, राजनीतिक आजादी, राजीनीतिक इच्छाशक्ति राजनीति का निर्णय लेने की क्षमता , रणनीतिक आजादी और उसकी विदेश नीति बहुत हद तक उस देश की सैन्य ताकत पर निर्भर करती है। और एक मजबूत सेना ताकत कभी भी विदेशी हथियारों के दम से नहीं आती है। अब हमें भी भारत को एक मजबूत सैन्य ताकत बनाना है तो हमे भी हर तरह के वेपन सिस्टम और वेपन प्लेटफॉर्म को अपने ही तकनीकी दम से स्वदेशी रूप से विकसित करना होगा। आपकी क्या राय है हमें जरूर बताएं।

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