अमेरिका से भारत ने मंगाई 73 हजार Sig-716 Assault Rifles दे​खिए कितनी ताकतवर है

73 thousand Sig716 Assault Rifles Order from US

हाल ही में भारतीय सेना ने अमेरिका को और नई सिगर सॉर राइफल्स का आदेश दिया है। इससे पहले भी भारतीय सेना को 70 हजार Sig-716 Assault Rifles मिल चुकी हैं। एैसे में ये देखने वाली बात है की दुनिया की सबसे ताकतवर सेना में शामिल भारतीय सेना ने इसे क्यों चुना।

Sig Sauer कपंनी की तरफ से जानकारी आई है की हमें इस बात की बहुत खुशी है की भारतीय सेना ने हमें दोबारा इन घातक राइफलों का आदेश दिया है। और नई 76 हजार Sig Sauer 716 आने से भारत के पास इनकी संख्या 1.45 लाख से ज्यादा हो जाएगी। ये हमारे लिए गर्व की बात है। बता दें की भारत इन राइफलों को पाक और चीन सीमा पर जो अग्रिम पंक्ति के जवान है उन्हें देगा।

ये राइफलें इनसास राइफलों की जगह लेने के लिए तैयार है। Sig-716 से 7.62x51mm नाटो गोलियां दागी जाती हैं। जो सबसे घातक गोलियां मानी जाती हैं।

आपको बता दें की सिवट्जरलैंड और अमेरिका इन दोनों जगहों पर Sig-716 राइफलें बनाई जाती हैं। सबसे खास बात इनकी ये है की ये ऑटोमैटिक राइफलें है। साथ ही साथ इनकी रेंज और सटीकता भी बेहतर है।

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और भी कई खासियत हैं इस राइफल की

ये राइफल गैस ऑपरेटेड रोटेटिंग बोल्ट एक्शन वाली राइफलें है। इसकी एक सिंगल मैगजीन में 20 गोलियां आती हैं। यही नहीं Sig-716 में रीयर ऑप्टिक्स और एडजस्टेबल फ्रंट भी लगाया जा सकता है। जिससे लंबी दूरी पर बैठे किसी दुश्मन को आसानी से मार गिराया जा सकता है।
रेंज की बात की जाए तो इसकी रेंज 600 मीटर है। जो सबसे बेहतर रेंज मानी जाती है आधुनिक राइफलों की। ये राइफल एक मिनट में 685 राउंड फायरिंग करने में सक्षम है। दुनिया में Sig-716 के चार वैरिएंट हैं। ये साइज में छोटी और वजन में हल्की भी है। भारत ने अपने सैनिकों के लिए सिग—716 पेट्रोल राइफलें खरीदने का आदेश अमेरिका को दिया है।

इन्हें खरीदने की वजह क्या है?

आप सब जानते हैं की भारत में रूसी एके—203 राइफल्स बन रही हैं लेकिन इन्हें बनने में देरी हो रही है। लेकिन अब काम तेजी से भी चल रहा है एके—203 राइफलों पर। हाल ही में कुछ संख्या में एके—203 भारतीय सेना को भी मिली हैं।

यहां पर मैं आपको बताना चाहता हूं की भारत भले ही विदेशों से उन्नत राइफलें खरीदे लेकिन घरेलू कंपनियों को भी मौका दे ताकी उन्हें भी एक बड़ा अवसर मिल सके। भारत कोशिश तो कर रहा है हथियारों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की। लेकिन काम तेजी से करना होगा।

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