सेंट मार्टिन एक एैसी जगह है जिसकी वजह से एक बड़ा विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। ये एक द्वीप है जो बंगाल की खाड़ी में मौजूद है और ये बांग्लादेश के कॉक्स बाजार का हिस्सा है। जो उनकी सीमा से मात्र 9 किलोमीटर की दूरी पर है। ये द्वीप प्राकृतिक सुंदरता अपने में समाए हुए है। अब आपको बता दें की बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बड़ा खुलासा किया है उनका आरोप है की सेंट मार्टिन द्वीप को अमेरिका को ना देना उनकी तख्तापलट का कारण है।
इस द्वीप को नारियल का द्वीप भी कहा जाता है
सेंट मार्टिन के करीब एक और छोटा द्वीप है जो म्यांमार से भी लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है। और यहीं पर म्यांमार और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा बनती है। चीन और पाकिस्तान की नजर के अलावा इस द्वीप पर अमेरिका की भी बड़ी नजर रही है। वजह है इसकी रणनीतिक अहमियत। अक्सर जुंटा आर्मी ने ISI के इशारों पर यहां पर कई हमले किए हैं। कई बार बांग्लादेशी नौकाओं पर गोलीबारी की खबरें भी आ चुकी हैं।
अब बात आती है क्यों अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप को अपने कब्जे में लेना चाहता है।
डिफेंस से जुड़े पत्रकारों का मानना है की इस जगह का जियो पॉलिटिकल महत्व ज्यादा है। ये द्वीप रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। सबसे बड़ी खासियत यहां की ये है की दुनिया के किसी भी हिस्से के समुद्री रास्ते से यहां पर पहुंचना आसान है। इस द्वीप से पूरे बंगाल की खाड़ी पर आसानी से नजर रखी जा सकती है। और अमेरिका चाहता है की वो यहां पर एक आर्मी बेस बनाए। अमेरिका की सोच काफी आगे की है वो यहां से अपनी इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी के जरिए चीन को बड़ा जवाब देना चाहता है। क्योंकी चीन अक्सर हिंद महासागर में घुसपैठ करता रहता है।
सेंट मार्टिन द्वीप केवल 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पहले इसका नाम जजीरा रखा गया था। ये द्वीप बंगाल की खाड़ी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में एक ब्रिज का काम कर रहा है। और अगर जंग की स्थिति होती है तो इस जगह से संपर्क बनाना आसान हो जाएगा। यही वजह है अमेरिका जैसा शक्शिाली देश इस पर अपनी नजर बनाए हुए है।
रणनीतिक और व्यापारिक कारणों से अमेरिका हो या चीन इसे अपने कब्जे में रखना चाहते हैं। अगर अमेरिका को ये द्वीप मिल जाता है तो वो आसानी से ना केवल चीन बल्कि भारत पर भी नजर रख सकता है। अमेरिका की सोच ये है की वो दुनिया का पावर सेंटर बना रहे और भविष्य में भारत और चीन को कंट्रोल कर सके। सेंट मार्टिन में केवल 9 गांव हैं। और इस द्वीप में लगभग 3700 लोग रहते हैं। भारी बरसात होने पर ये द्वीप मुख्य भूमि से कट जाता है। यहां पहुंचने के लिए कॉक्स बाजार से फेरियां और नावें चलती हैं।
कुल मिलाकर ये कह सकते हैं की भारत ने अपने हाथ से एक बड़ा रणनीतिक द्वीप खो दिया। 1971 की जंग के बाद भारत के पास एक बड़ा मौका था इसे अपने कब्जे में लेने का। लेकिन आप सब जानते हैं उस समय की सरकार ने इसे हल्के में लिया। कुछ एैसी गलतियां हमने अतीत में की हैं जिसका खामियाजा आज भारी पड़ रहा है।
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