एयर डिफेंस सिटस्म मौजूदा युग में गेमचेजंर माने जाते हैं। एैसे में कई देश अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम या तो बना रहे हैं या खरीद रहे हैं। अगर बात भारत की जाए तो भारत के पास अपने खुद के देसी एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद हैं। जिन्हें ना केवल हमारी सेना इस्तेमाल कर रही है बल्की भारत को कई देशों से इसके निर्यात सौदे भी मिलने जा रहे हैं। आर्मीनिया की ही बात ले लो उसने भारत से आकाश एयर डिफेंस सिस्टम लिया है।
वहीं दूसरी और चीन(China) की बात की जाए तो उसके पास भी कई सारी वायु रक्षा प्रणालियां हैं। एैसे में चीन का स्काई ड्रैगन—50 पर भी कुछ देशों की नजर है। एैसे में आकाश वायु रक्षा प्रणाली और स्काई ड्रैगन—50 दोनों प्रणालियां अपनी उन्न्त प्रभावशीलता और तकनीक के लिए जानी जाती है।
हम आज इन दोनों वायु रक्षा प्रणालियों की तुलना करेगें।
China’s Sky Dragon-50 vs India’s Akash Air Defense System in Hindi

स्काई ड्रैगन-50 की मुख्य विशेषता :
स्काई ड्रैगन-50: ये चीन की मध्यम दूरी की मिसाइल है। असल में इसकी मारक क्षमता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इस वायु रक्षा प्रणाली में एक IBIS 150 3D रडार वाहन, अग्निशमन वाहन और कम से कम छह लॉन्च वाहन शामिल होते हैं। और ये प्रणाली 6×6 बीबेन ट्रक मॉडल 2628 पर लगी है, जिसमें चार मिसाइलें लॉन्च करने के लिए मिसाइल कनस्तर होते हैं। इस वायु रक्षा प्रणाली को विमान, हेलीकॉप्टर, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) और क्रूज मिसाइलों को खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है।
रडार की ताकत: मौजूदा जानकारी के अनुसार इसमें IBIS 150 3D रडार लगा है जिसकी रेंज 130 किलोमीटर से ज्यादा है। और ये कुल 24 मिसाइलों को गाइड करके एक बारी में 12 लक्ष्यों को तबाह कर सकता है यानी दो मिसाइलें एक लक्ष्य को टॉरगेट बनाती हैं जिससे लक्ष्य को मार गिराने की जो संभावना है वाक 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इस एयर डिफेंस सिस्टम के रडार का बेहतर कंट्रोल और कमांड सिस्टम होता है जो खुफिया जानकारी भी जुटा सकता है। चीन ने इसका नया कोड नाम GAS2 दिया है।
अब बात करते हैं स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस सिस्टम : indigenous Akash air defense system
आकाश सिस्टम एक छोटी दूरी की मिसाइल है जिसका इस्तेमाल दुश्मनों के फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को मार गिराने में प्रयोग किया जाता है। साथ ही ये एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकती है। यही नहीं ये दुश्मनों के जैमर को पूरी तरह से बेअसर कर सकती है। सबसे खास बात ये है की इसे आसानी से परिवहन किया जा सकता है रेल, हवाई और सड़क के जरिए।

आकाश एयर डिफेंस की विशेषताएं :
एक आकाश बैटरी में राजेंद्र 3D पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (PESA) रडार, एक कमांड और कंट्रोल सेंटर और चार लॉन्चर शामिल हैं, और प्रत्येक में तीन लॉन्च करने के लिए मिसाइलें तैयार रहती हैं। इस सिस्टम को आसानी से ट्रैक और पहिएदार दोनों तरह के वाहनों में तैनात भी किया जा सकता है।
रडार की ताकत: इसके राजेंद्र रडार की जबरदस्त क्षमता है, इसकी 60 किलोमीटर की रेंज है जो एक साथ 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। और गाइडेड मिसाइलों का इस्तेमाल करके कई लक्ष्यों को भेद सकता है, इसकी लक्ष्य को मार गिराने की जो संभावना है वो 98% तक है। साथ ही ये इलेक्ट्रॉनिक जवाबी कार्रवाई को संभालने में सक्षम है, और अलग—अलग मोड में जबरदस्त वायु रक्षा कवरेज प्रदान करता है। भारतीय सेना और वायु सेना आकाश प्रणाली का इस्तेमाल कर रही है। और डीआरडीओ आकाश एनजी पर भी काम कर रहा है।

अब आइये अब करते हैं दोनों की तुलना :
जहां आकाश सिस्टम के रडार की रेंज 60 किमी है तो स्काई ड्रैगन—50 की रेंज 130 किमी से ज्यादा। यानि चीन का रडार काफी बेहतर है जो लंबी दूरी पर लक्ष्यों को ट्रैक करके उन्हें गिरा सकता है। लेकिन आकाश सिस्टम का रडार काफी सटीक है जो एक साथ कई लक्ष्यों को आसानी से संभाल सकता है।
जैसे आपको मैने बताय था की स्काई ड्रैगन-50 24 मिसाइलों के साथ 12 लक्ष्यों को गिरा सकता है यानि लक्ष्य की बचने की संभावना नहीं होती। तो वहीं आकाश भी कई लक्ष्यों को आसानी से मार गिरा सकता है। यहां पर आकाश एयर डिफेंस की क्षमता थोड़ी कम है।
अब बात करते हैं दोनों वायु रक्षा प्रणालियों की तैनाती और गतिशीलता की, दोनों ही सिस्टम को बेहतर गतिशीलता के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन आकाश सिस्टम की खास बात ये है की इसे ट्रैक और पहिएदार वाहनों पर तैनात किया जा सकता है यानि हर इलाके में ये अपनी क्षमता दिखा सकता है। लेकिन चीन का स्काई ड्रैगन-50 बीबेन ट्रक मॉडल 2628 ट्रक पर लगाया गया है जो इसको आकाश प्रणाली की तुलना में कम गतिशील बना सकता है।
अब बात है की कौन सा सिस्टम अधिक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के साथ है, यहां पर आकाश सिस्टम को चीन के स्काई ड्रैगन-50 पर बड़ी बढ़त है। आकाश का भारतीय सशस्त्र बलों के साथ एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है, लेकिन स्काई ड्रैगन-50 अभी नया है और इसे ज्यादा तैनात नहीं किया गया है।
कुल मिलाकर हम ये बोल सकते हैं की दोनों ही वायु रक्षा प्रणाली अपनी ताकत और क्षमता के लिए जानी जाती हैं। और दोनों के कुछ फायदे और नुकसान हैं। बाकी चीजें तो जंग के मैदान में पता चलती है, कौन कैसे अपनी वायु रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल करता है।