जानिए रूस के छठी पीढ़ी के स्टील्थ ड्रोन सुखोई एस-70 ओखोटनिक ड्रोन के बारे में

रूस ने बदलती दुनिया के साथ खुद को भी बदलना शुरू कर दिया है। और अब रूस का ध्यान घातक ड्रोन बनाने पर है। एैसे ही एक ड्रोन S-70 Okhotnik-B की तस्वीरें सामने आईं है। ये ड्रोन छठी पीढ़ी का स्टेल्थ ड्रोन है। आखिर इस ड्रोन की क्या क्षमता है ये भी जानने की विषय है.

Know about Russia 6th Generation Stealth drone Sukhoi s-70 okhotnik Drone 

S-70 Okhotnik-B की ताकत :

रूस की दो कंपनियां रूसी एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन मिग और सुखोई ने इस ड्रोन को साथ में मिलकर तैयार किया है। ये ​ताकतवर ड्रोन अपने साथ 500 कैलिबर के बम को ले जा सकता है। इसके अलावा इसमें कई हवा से हवा ​में मार करने वाली घातक मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं।

S-70 Okhotnik-B की सबसे बड़ी खासियत ये है की इसमें रूस के पांचवी पीढ़ी के फाइटर su-57 की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। और ये ड्रोन su-57 के साथ मिलकर किसी भी जंग का नक्शा बदल सकता है। यानी ये ड्रोन su-57 के साथ लंबी दूरी से दुश्मनों के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर सकता है।

स्पीड और कॉम्बैट रेंज :

अगर बात की जाए इस ड्रोन की तो इसका विंगस्पैन 65 फीट का है। और इसका कुल वजन लगभग 20 हजार किलोग्राम का है। लेकिन अगर ये हथियारों के साथ उड़ान भरता है तो इसका वजन 25 हजार किलोग्राम तक जा सकता है। ये ड्रोन एक बारी में करीबन 6000 किमी तक जा सकता है और इसकी स्पीड लगभग 1 हजर किलोमीटर प्रतिघंटा है।

अनगाइडेड और गाइडेड हथियार :

अगर ये ड्रोन किसी जंग में अपने हथियारों के साथ जाता है तो इसकी रेंज तीन हजार किलोमीटर तक है। इसकी एक और बड़ी खासियत इसका इंटर्नल वेपन बे का होना है। ये ड्रोन अपने इंटर्नल वेपन बे में एैसे हथियार ले जा सकता है जो दुश्मनों को दिखाई तक ना दे। और इनके जरिए ये दुश्मनों पर अनगाइडेड या फिर गाइडेड हथियार गिरा सकता है।

S-70 Stealth Drone की वजह से नाटो को भी बड़ी टेंशन है। इस ड्रोन के स्टेल्थ होने की वजह से ये दुश्मनों के एयर डिफेंस सिस्टम के रड़ार पर दिखाई नहीं देगा।

एस—70 एक ड्रोन विंगमैन :
ये ड्रोन लॉयल विंगमैन श्रेणी में आता है। यानी की ये फाइटर जेट के साथ मिलकर मिशन को अंजाम दे सकता है। इसे ना केवल पांचवी पीढ़़ी के यहां तक की छठी पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर के साथ लगा कर उनकी क्षमताओं को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है।

सुखोई एस—70 को AL-31 टर्बोजेट इंजन द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें कई प्रकार के सेंसर लगे हैं जिनमे इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग और रेडियो भी शामिल है। ये ड्रोन ना केवल दुश्मनों की निगरानी या जासूसी कर सकता है बल्कि समय मिलने पर उन पर आक्रमण भी कर सकता है।

भारत की बात की जाए तो भारत भी अपने घातक ड्रोन पर काम कर रहा है। वो भी इसी तरह का ड्रोन होगा। एैसे में डीआरडीओ को इसकी क्षमताओं पर तेजी से काम करना होगा। घातक ड्रोन भी भारत के लिए गेमचेंजर होगा।

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