स्वीडन की कंपनी साब पाकिस्तान की वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ा रही है। और अब साब ने पाकिस्तान को एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट सौंपा है। इस विमान का नाम साब 2000 एरीये है। पाकिस्तान की वायु सेना ने इसे अपने मिन्हास एयर बेस पर तैनात भी कर दिया है। इस विमान के शामिल होने के बाद पाकिस्तान के पास 9 अवाक्स हो चुके हैं। पाकिस्तान की ये आसमानी आंख भारत पर लगातार नजर बनाकर रख सकती है। AWACS एयर बेस पर तैनात फाइटर विमानों के साथ समन्वय करने में मदद भी करेगा।
Saab 2000 Erieye Awacs to Pakistan Air force
पाकिस्तान का इन विमानों का ऑर्डर
2006 में स्वीडिश कंपनी साब के साथ पाकिस्तान ने इन एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट का सौदा किया था। उस वक्त पाकिस्तान ने केवल 6 2000 एरीये विमानों का ऑर्डर दिया था। लेकिन पैसों की कमी और भ्रष्टाचार की वजह से उसने इनकी संख्या घटाकर केवल 4 यूनिट तक कर दिया था। लेकिन पाकिस्तान ने 2017 में और 2020 में हर साल तीन विमानों का ऑर्डर साब को दिया था। कहा जा रहा है की पाकिस्तान और भी ऑर्डर इनके देगा।
पाकिस्तान की भारत के खिलाफ रणनीति
पिछले कुछ सालों में अगर आप देखें तो पाकिस्तान ने नए फाइटर जेट्स से लेकर ड्रोन खरीदे हैं। कुछ रिपोर्ट अब इस बात का भी दावा कर रही हैं की पाकिस्तानी पायलटों को चीन में पांचवी पीढ़ी के फाइटर जे—31 में ट्रेनिंग देना भी शुरू कर दिया है। और अगर ये फाइटर जेट पाकिस्तानी वायु सेना में शामिल होगा तो भारत की टेंशन जरूर बढ़ेगी। तुर्की भी अपने दोस्त पाकिस्तान की मदद कर रहा है।
अवाक्स की संख्या भारत के पास कितनी है
भारत की बात की जाए तो हमारे पास रूस के तीन IL-76 ‘फाल्कन’ अवाक्स के साथ दो इंबरर नेत्र अवाक्स हैं। इनका इस्तेमाल भारतीय वायु सेना चीन और पाकिस्तान सीमा पर करती है। लेकिन संख्या कम होने की वजह से भारत इनका पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा है। दरसल अगर किसी अवाक्स का मेंटीनेंस होता है तो इनकी संख्या और कम हो जाती है। जिससे भारत की दुश्मनों पर निगरानी क्षमता काफी प्रभावित होती है। अवाक्स सिस्टम से लैस विमान जंग के समय सबसे ज्यादा महत्वूपर्ण भूमिका निभाता है।
अवाक्स सिस्टम की जरूरत क्यों होती है
दरसल अवाक्स सिस्टम से लैस विमान एक ताकतवर ग्राउंड आधारित रडार की सीमित क्षमताओं को पार कर जाता है। और उनकी तुलना में अधिक जानकारी जुटाता है। ये कम उंचाई पर उड़ने वाली किसी भी तरह की मिसाइल और जमीन पर मौजूद रडार की पकड़ में न आने वाली वस्तुओं को आसानी से ट्रैक कर देता है। ये एक बड़ा हिस्सा कवर कर सकता है। साथ ही अवाक्स सिस्टम ग्राउंड पर मौजूद रडार और सतह से हवा में मार करने वाली हर तरह की मिसाइलों के साथ एक समन्वय बनाकर एक नेटवर्क वाली एकीकृत वायु रक्षा बनाता है। जिससे आसानी से दुश्मनों के हवाई क्षेत्र पर अच्छे से निगरानी रखी जा सकती है।
भारतीय वायु सेना आने वाले समय में छ और नेत्र एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट शामिल करेगी। जिससे भारत की निगरानी क्षमता और बढ़ जाएगी।