इसे समझते हैं अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन तो आज के समय में अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन की जरूरत क्या और कितनी है। इसे ऐसे समझा जाय कि आज के टाइम में नाटो (NATO) और वेस्टर्न देश तेजी से कॉम्बैट ड्रोन पर शिफ़्ट हो रहे हैं। और वो इसके एंड्योरेंस और स्पीड दोनों को ही बढ़ा रहे हैं जिससे इसमे उन्हें मैन पावर की जरूरत नही रह जाएगी। और पायलट के जान का खतरा भी नहीं रह जाएगा और सबसे बड़ी बात एक पायलट को ट्रेनिंग करने में लगने वाला समय और पैसा दोनों ही बचेगा उदाहरण के लिये एक जेट पायलट को 4 साल की ट्रेनिंग लगेगी एक जेट को उड़ाने के लिए और 2 साल की एडिशनल ट्रेनिंग लगेगी जेट को रात में उड़ाने के लिए इसके बाद भी ट्रेनिंग टाइम में भी पायलट के जान का खतरा और जेट के क्रैश का भी खतरा बना रहता है। लेकिन ड्रोन को उड़ाने के लिए इतना खतरा या समय नहीं लगता है। आप सिम्युलेटर में बैठ कर कुछ दिनों में ही ड्रोन उड़ाना सीख सकते हैं और इसमें जान का खतरा और ड्रोन के क्रैश हो जाने का कोई चांस नहीं रहता है।
अब इस तकनीक में भारत क्या कर रहा है ?
पहला एडवांस अनमैन्ड एरियल व्हीकल हेरॉन टीपी ड्रोन इंडिया में ही बना था और इसे एचएएल ने आईएआई के साथ पार्टनरशिप में बनाया था। जो की स्पेशलाइज्ड कंपनी है एरोनॉटिक्स और ऑटोनोमस weaponri में । एडवांस हेरॉन टीपी ड्रोन एक male ड्रोन है यानी कि ये एक मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस की श्रेणी का ड्रोन है। हेरॉन टीपी ड्रोन लगातार 36 घंटे तक उड़ सकता है।
इसे यहाँ पर भारत की कॉम्बैट जरूरत को ध्यान में रख कर बनाया गया है। और इसे इस तरह से डिजाइन की गया है कि ये किसी अन्य तीसरे देश की जरूरत को भी पूरा कर सके जिससे इसे आने वाले समय मे किसी तीसरे देश को भी एक्सपोर्ट किया जा सके।
आज के टाइम में भारत की जरूरत को देखते हुए 100 के नंबर में हेरॉन टीपी ड्रोन को बनाया गया है और इसे सेना के तीनों ही अंग आर्मी, नेवी और एयर फोर्स इसे रिकोनिसेंस और सर्विलांस के लिए इस्तेमाल कर रही है।
अब बात इस चीज की ड्रोन क्या है और ये हमारी आर्म्ड फोर्सेज को किस तरह से सहायता कर सकता है ?
ड्रोन एक ऐसा फ्लाइंग ऑब्जेक्ट है जो खुद से ही यानी कि ऑटोनोमस या किसी रिमोट की सहायता से ऑपरेट किये जा सकते हैं।
इसके जरिये ऑपरेटर हज़ार किलोमीटर दूर बैठ कर भी किसी भी जगह की रेकी और सर्विलांस कर सकता है।
और अगर ये ड्रोन किसी वेपन से लैस हो तो इस ड्रोन की सहायता से हमला भी किया जा सकता है।
अब दूसरी चीज ये समझने की है कि ड्रोन का वर्गीकरण क्या है और ये कितने तरह के है। इन ड्रोन्स को एल्टीट्यूड और एंड्योरेंस के हिसाब से वर्गीकरण किया जा सकता है।
इसे इस हिसाब से समझा जाय कि मीडियम एल्टीट्यूड की ऊँचाई 20 हज़ार से लेकर 50 हजार फीट। और हाई एल्टीट्यूड 60 हज़ार फिट से ज्यादा की ऊँचाई होती है और एंड्योरेंस 24 से 32 घंटे तक का होता है। और अब इस वर्गीकरण में भी दो तरह के ड्रोन होते हैं पहला आर्म्ड अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन दूसरा अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन। आर्म्ड अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन में इसके विंग पर हथियार लगे होते हैं ये अपने पेलोड में एयर टू एयर मिसाइल प्रिसिजन स्ट्राइक म्यूनिशन, एंटी रेडिएशन मिसाइल और गाइडेड रॉकेट कई तरह के बॉम्ब और लेज़र गाइडेड बॉम्ब को ले जा सकते है।
इसके पेलोड में कई तरह के सेंसर और राडार लगे होने से इसे इंटेलिजेंस सर्विलांस और रिकोनिसेंस में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
हेरॉन टीपी ड्रोन को एक आर्म्ड ड्रोन भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमे एयर टू सरफेस मिसाल लगी होती है और बात अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन की तो इसे भविष्य का ड्रोन कहा जा रहा है इसे कई तरह के रोल निभाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है।
HAL इसके लिये एक स्टार्टअप कंपनी न्यू स्पेस रिसर्च के साथ मिलकर इसे जल्द से जल्द बनाने की तैयारी कर रही है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसके कॉम्बैट करने की क्षमता होगी। यहाँ कॉम्बैट करने की क्षमता से मलतब है कि ये एक फाइटर जेट की तरह से प्रदर्शन करेगा इसमे एयर टू एयर मिसाइल होगी, एयर टू ग्राउंड मिसाइल होगी और ये किसी भी फाइटर जेट की तरह युद्धाभ्यास भी करेगा।
इसे किसी भी ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से रिमोटली कंट्रोल किया जा सकेगा या इसे किसी अन्य मानव युक्त एयर क्रॉफ्ट से भी ऑपरेट किया जा सकेगा। इस तरह से इसे मैन्ड अनमैन्ड टिमिंग ड्रोन भी कहा जा सकता है अब इस समय में UCAV एक लीथल घातक स्वायत्त हथियार की श्रेणी में आता है। अब इसे और भी स्मार्ट किया जा रहा है मतलब अब इसे अपने टारगेट खुद ढूंढने और उस पर इसे खुद डिसीजन लेने की क्षमता और हमला करने की क्षमता से लैस किया जा रहा है। अब इस समय मे ब्रिटिश Taranis के साथ फ़्रांस सरकार नियॉन के साथ और अमेरिकन X-47B ड्रोन के साथ अपनी अपनी रिसर्च को आगे बढ़ा रहे हैं और चाइना भी इस फील्ड में बहुत तेजी के साथ आगे आ रहा है।
चीन ने स्काई हॉक और विंग लूंग II के नाम दो तरह के ड्रोन बना लिए है जिन्हें UCAV की श्रेणी में रखा जा सकता है और पाकिस्तान ने भी बुर्राक ड्रोन बना कर इस फील्ड में अपनी उपस्थिति दर्ज कर दी है। भारत भी इसकी महत्ता को समझते हुए इस पर तेजी से काम कर रहा है और भविष्य की ड्रोन टेक्नोलॉजी को डेवलप कर रहा है आने वाले समय मे UCAV पहले ज्यादा उत्तरजीविता, ज्यादा स्वायत्तता, ज्यादा एंड्योरेंस और ज्यादा वेपन पेलोड ले जाने की क्षमता वाले होगें। ये UCAV पहले से ज्यादा टाइम तक हवा में उड़ सकेंगे। और इन्हें हज़ार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी से भी ऑपरेट और कंट्रोल किया जा सकेगा ।
आज के समय में इसके घातक हमले देखें जा सकते है। उदाहरण के लिए जनरल सुलेमानी को एक ड्रोन से मिसाइल फायर करके मारा गया था और इसका एक और घातक इस्तेमाल ईरानियों ने और हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब के तेल डिपो को नष्ट करने में किया था तो इस तरह के खतरे को देखते हुए डीआरडीओ एक UCAV जिसे घातक के नाम जाना जाता है उसे तैयार करने में जुटा हुआ है। घातक एक स्टील्थ अनमैंड कॉम्बैट एरियल ड्रोन है। अभी हमारी तीनों सेनाओं आर्मी, नेवी और एयर फोर्स को एक ऐसा ड्रोन चाहिए जिसमें आईएसआर की क्षमता हो। आईएसआर का मतलब इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनिसेंस है।
सबसे पहले इजराइल से सर्चर मार्क 1 लिया गया था। जिसे अब रिटायर कर दिया गया है। अब सर्चर मार्क 2 और हेरॉन टीपी ड्रोन को ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे हमारी हमारी तीनो सर्विसेज आर्मी, नेवी और एयर फोर्स अपनी अपनी जरूरत के हिसाब से ऑपरेट कर रही हैं।
हेरॉन टीपी एक आर्म्ड ड्रोन है। और अब इसे नेक्स्ट लेबल पर ले जाने की तैयारी की जा रही है। यहाँ इस बात को समझना जरूरी है कि दुनिया का कोई भी देश ड्रोन्स और कॉम्बैट ड्रोन की टेक्नोलॉजी कभी नही देगा। और ड्रोन की तकनीक बहुत ही जटिल होती है। जिससे डीआरडीओ को भी AURA या घातक जो कि एक स्टेल्थ UCAV है इसे बनाने में वक्त लग रहा है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ सालों में ये हमारे सामने होगा और अब स्वार्म ड्रोन की भी बात सामने आ रही है स्वार्म का मतलब एक झुंड से होता है और चीन ने अभी अपनी एक स्वार्म ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन किया है। जिसमे करीब एक हज़ार ड्रोन्स ने अपने दिए गए टारगेट का खत्म कर के दिखाया है।
और ये हमारे लिए एक बड़ी चिंता का विषय है अब अगर इन स्वार्म ड्रोन्स को भी एक आर्म्ड ड्रोन में बदल दिया जाय तो ? तब इस समय में इससे पैदा हुए खतरे का अंदाज़ा भी नही लगाया जा सकता है। फिर आप इससे पैदा हुए खतरे से कैसे निपटेंगे ?
इसलिए इसके खतरे को देखते हुए हमें इसके आगे की तैयारी करनी होगी और भविष्य में हमे ड्रोन से ड्रोन कॉम्बैट के लिए तैयार होना होगा। यहाँ पर एक चीज और समझनी होगी कि अगर एक इंसानी फाइटर जेट एक ही समय मे दो अनमैन्ड टिमिंग ड्रोन को ऑपरेट करे तो उस पायलट को ज्यादा रेंज ज्यादा हथियार पहले ज्यादाजानकारियां उपलब्ध होगी। वो भी जान को जोखिम में डाले बगैर अपने ऑपरेशन पूरा कर सकेगा। ड्रोन्स का इस्तेमाल ना केवल मिलिट्री की जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरी है अपितु ये सिविलियन एविएशन में भी एक महत्वपूर्ण भागीदारी भी निभा सकता है और आने वाले समय में हम ड्रोन टैक्सी और ऑटोनोमस जेट को ऑपरेट होते देख सकेंगे। तो अब इस समय इस तकनीक में ना सिर्फ डीआरडीओ बल्कि कई प्राइवेट सेक्टर भी बहुत तेजी से आगे आ रही हैं।
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वाह